* कोई धूर्त आदमी किसी बड़ा व्यक्ति के नाम से झूठा पत्र लिखकर लाए तो कुछ समय के लिए उस पर भरोसा करना ही पड़ता है। बाद में समय के अनुसार वो झूठ उजागर हो जाता है। इस तरह, शूद्रादि - अतिशुद्र का किसी समय ब्राह्मणों-पंडा-पुरोहितों के जुल्म और जातिवाद के शिकार होने की वजह से, अनपढ़ गँवार बना कर रखने की वजह से, पतन हुआ है। ब्राह्मणों ने अपने स्वार्थ के लिए समर्थ रामदास के नाम पर झूठे-पाखंडी ग्रंथों की रचना कर के शूद्रादि - अतिशुद्र को गुमराह किया और आज भी इनमें से कई लोगों को बारह्मण-पुरोहित लोग गुमराह कर रहे है।
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